रिश्ते
रिश्तो में जैसे ही गणित लगाओगे , मुंह की खाओगे रिश्तो में समीकरण का हल नहीं ढूंढना है,,, बल्कि असमानता ओं को संभालकर संजोना है ,,,!!! विवाह के पश्चात नव दंपति अपने जीवन की नई शुरुआत करते हैं । नई दुल्हन को गृह प्रवेश के साथ साथ अपने कर्तव्य, दायित्व , जिम्मेदारियों और फर्ज को निभाना होता है और आखिर ही यही उम्मीद समस्त परिवार जन की भी होती है । उससे यही उम्मीद की जाती है कि वह उसे अपना घर समझकर उसे साफ सुथरा रखें सुंदर बनाए और सभी रिश्तो में परस्पर सामंजस्य बनाए रखें । लेकिन वह उस घर की व्यवस्था को ही समूल परिवर्तन कर दे तो और यदि उसे उस बात पर टोका जाए । नई नवेली का यह आरोप कि क्या मैं अपनी मर्जी भी नहीं रख सकती हूं ,,,, ??क्या मुझे इस घर में इतना भी अधिकार नहीं ,,,,?? जैसे ताने... आज की कुछ एक आधुनिकता से वशीभूत हुई विवाहित स्त्रियां अपने से उम्र में बड़ी ननद या जेठानी से ' आप ' या ' जी ' कहकर संबोधित करना नहीं चाहती । उस पर यदि वह नौकरी करती है या पैसे कमाने जाती है तो यह कहने से भी बाज नहीं आती कि उसकी कमाई से ही यह घर चल रहा है । नहीं तो प