8मार्च
विधाता की सबसे सुन्दर , कृति हो तुम......! उस पर तुम्हारी हंसी दुनिया की सबसे सुन्दर कला.....! तुम्हारा हंसना जैसे नदी की कलकल पहाडों से जमीं पर लहराते आता झरना....! सांवली कलाइयों में गुलाबी चूड़ियों का बजना जैसे कोयल का कुहकुहाना....! तूम बिन्दिया ज़रूर लगाया करो तुम्हारे सांवले-सलोने..... गोल से चेहरे पे......! गोल, बड़ी सी बिन्दिया बहुत खिलती है तुम्हारे मृगनयनी सांवले चेहरे पर...! आज आसमान पे..... चाँद देख कर तुम्हारी याद आयी..! रात के सांवले चेहरे पे गोल बड़ी बिन्दिया सा चाँद सचमुच......बहुत खिलता है....! उम्र की कमाई है मेरे तुम्हारी उजली पाक हंसी.......! क़तरा क़तरा ख़त्म होती क़त्ल होती जमाने को दिखानेवाली तुम्हारी खोखली हंसी........!!!!!! 🌹🌹🌹🌹🌹