ताली क्यों बजाई जाती है ,,,??
हमारे हिन्दू सनातन धर्म में आरती अथवा कीर्तन करते समय तालियां क्यों बजाई जाती है.....? आरती अथवा कीर्तन में ताली बजाने की प्रथा बहुत पुरानी है... और *श्रीमद्भागवत के अनुसार कीर्तन में ताली की प्रथा श्री प्रह्लाद जी ने शुरू की थी.... क्योंकि, जब वे भगवान का भजन करते थे... तो,जोर-जोर से नाम संकीर्तन भी करते थे तथा, साथ-साथ ताली भी बजाते थे...... और, हमारी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि..... जिस प्रकार व्यक्ति अपने बगल में कोई वस्तु छिपा ले और, यदि दोनों हाथ ऊपर करे तो वह वस्तु नीचे गिर जायेगी.... ठीक उसी प्रकार जब हम दोनों हाथ ऊपर उठकर ताली बजाते है.. तो, जन्मो से संचित पाप जो हमने स्वयं अपने बगल में दबा रखे है, नीचे गिर जाते हैं अर्थात नष्ट होने लगते है.. कहा तो यहाँ तक जाता है कि.... जब हम संकीर्तन (कीर्तन के समय हाथ ऊपर उठा कर ताली बजाना) में काफी शक्ति होती है और, हरिनाम संकीर्तन से हमारे हाथो की रेखाएं तक बदल जाती है...... परन्तु यदि हम आध्यात्मिकता की बात को थोड़ी देर के छोड़ भी दें तो..... एक्यूप्रेशर सिद्धांत के अनुसार मनुष्य को हाथों में पूरे शरीर के अंग