जीवन साथी
प्रकृति ने पुरूष ओर स्त्री को परस्पर जीवन - साथी के लिए ही बनाया है । दोनों अपनी - अपनी भावनाओं , इच्छाओं का एक दूसरे का साथी बनकर ही पूरा कर सकते है ।
प्रत्येक पुरूष को स्त्री ,,, ओर प्रत्येक स्त्री को पुरुष मिल जाता है लेकिन साथी लाखों में एक को ही मिल पाता है ।
सही जीवनसाथी जीवन में वह रंग भर देता है । जो कभी फीके नहीं पड़ते । इसका मतलब रोज के रोमांस या हर वक्त प्यार के प्रदर्शन से नहीं । बल्कि इसके मायने तो बहुत ही गहरे हैं । समय के साथ प्रेम के प्रदर्शन के तरीके भी जरूर बदल जाते हैं मगर प्रेम नहीं ।
यदि आपका साथी आपके साथ तब खड़ा होता है जब सब आप के खिलाफ हो । आपके सही होने पर वह पूरी दुनिया से लड़ सकता हो । तब यह सोचने की कदापि आवश्यकता नहीं कि आपका साथी का चुनाव सही है ।
प्रेम तो सामने वाले कि इच्छाओं का सम्मान करना सिखाता है । अगर कोई आपकी इच्छा का सम्मान नहीं करता है तो वह आपसे प्रेम नहीं करता ।
एक अच्छा साथ ही आपके सपनों को समझता है और उन्हें उड़ान देता है हौसला बढ़ाता है और भरसक कोशिश करता है कि आप उन्हें पूरा करें यहां तक कि यदि आप अपना सपना भूलने लगे तो वह आपको याद भी दिलाता है ।
जीवन पर्यन्त साथ रहने के प्रण करने से ही हम जीवन साथी नही बन जाते है ।जीवन साथी के लिए जिन आकर्षण की आवश्यकता है वह दैहिक नहीं ,, आत्मिक है । जहां पर दो शरीर नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन है ।
जीवनसाथी में कमी निकालना ,,, उस पर व्यर्थ के बंधन लगाना,,, उसकी जीवन शैली पर अपनी मर्जी थोपना और अपने हिसाब से उसकी जीवन की दिशाएं तय करना ,,,,,यह प्रेम नहीं ।। बल्कि उसको उसकी खूबियां बताना , उसे यथासंभव स्वतंत्र रखना , उसकी मर्जी का सम्मान करना और उसे यह एहसास दिलाना कि आप हमेशा उसके साथ है । यही तो प्रेम है जो जीवन की एक नई प्रेरणा देता है अपने जीवन को तराश और निखार कर समृद्ध बनाता है ।
स्वयं को नष्ट करने के स्थान पर यदि दोनों एक दूसरे के विकास में सहायता देने का यत्न करें तो वह अधिक सफल जीवन साथी बन सकते हैं ।
मेरी धारणा यह है कि आज के युग में मस्तिष्क और हृदय की स्वतंत्रता प्राप्त किए बिना कोई भी व्यक्ति सच्चे अर्थों में जीवन साथी नहीं बन सकता ।
प्रत्येक पुरूष को स्त्री ,,, ओर प्रत्येक स्त्री को पुरुष मिल जाता है लेकिन साथी लाखों में एक को ही मिल पाता है ।
सही जीवनसाथी जीवन में वह रंग भर देता है । जो कभी फीके नहीं पड़ते । इसका मतलब रोज के रोमांस या हर वक्त प्यार के प्रदर्शन से नहीं । बल्कि इसके मायने तो बहुत ही गहरे हैं । समय के साथ प्रेम के प्रदर्शन के तरीके भी जरूर बदल जाते हैं मगर प्रेम नहीं ।
यदि आपका साथी आपके साथ तब खड़ा होता है जब सब आप के खिलाफ हो । आपके सही होने पर वह पूरी दुनिया से लड़ सकता हो । तब यह सोचने की कदापि आवश्यकता नहीं कि आपका साथी का चुनाव सही है ।
प्रेम तो सामने वाले कि इच्छाओं का सम्मान करना सिखाता है । अगर कोई आपकी इच्छा का सम्मान नहीं करता है तो वह आपसे प्रेम नहीं करता ।
एक अच्छा साथ ही आपके सपनों को समझता है और उन्हें उड़ान देता है हौसला बढ़ाता है और भरसक कोशिश करता है कि आप उन्हें पूरा करें यहां तक कि यदि आप अपना सपना भूलने लगे तो वह आपको याद भी दिलाता है ।
जीवन पर्यन्त साथ रहने के प्रण करने से ही हम जीवन साथी नही बन जाते है ।जीवन साथी के लिए जिन आकर्षण की आवश्यकता है वह दैहिक नहीं ,, आत्मिक है । जहां पर दो शरीर नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन है ।
जीवनसाथी में कमी निकालना ,,, उस पर व्यर्थ के बंधन लगाना,,, उसकी जीवन शैली पर अपनी मर्जी थोपना और अपने हिसाब से उसकी जीवन की दिशाएं तय करना ,,,,,यह प्रेम नहीं ।। बल्कि उसको उसकी खूबियां बताना , उसे यथासंभव स्वतंत्र रखना , उसकी मर्जी का सम्मान करना और उसे यह एहसास दिलाना कि आप हमेशा उसके साथ है । यही तो प्रेम है जो जीवन की एक नई प्रेरणा देता है अपने जीवन को तराश और निखार कर समृद्ध बनाता है ।
स्वयं को नष्ट करने के स्थान पर यदि दोनों एक दूसरे के विकास में सहायता देने का यत्न करें तो वह अधिक सफल जीवन साथी बन सकते हैं ।
मेरी धारणा यह है कि आज के युग में मस्तिष्क और हृदय की स्वतंत्रता प्राप्त किए बिना कोई भी व्यक्ति सच्चे अर्थों में जीवन साथी नहीं बन सकता ।
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