Posts

Showing posts from September, 2019

कर्म / भाग्य

Image
-------- --------- पैर मिले हैं ,,, चलने को तो पांव पसारे मत बैठ,,,  आगे आगे चलना है तो हिम्मत हारे मत बैठ ,,,, कहा गया है कि जीवन में बिना कर्म के कुछ नहीं मिल सकता । लेकिन इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहते हैं कि भाग्य कुछ नहीं होता और भाग्यवादी का मानना यह है कि जो कुछ लिखा होगा वही होगा । गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि ----- " कठिन करम गति जान विधाता जो शुभ अशुभ शक्ल फल दाता । " भाग्य को चमकाने के लिए इंसान न जाने कितने तरीके और उपाय करता है ।लेकिन वह वास्तविक रूप में अपना भाग्य चमकाना है तो सबसे पहले अपने आप से अच्छा व्यवहार करें और खुद का सम्मान करें अच्छा पाने के लिए अच्छा करना भी पड़ता है बुरे के साथ कभी अच्छा नहीं होता कहते हैं ना कि --- " बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए ।" चाणक्य नीति  कहती है कि ----  " मनुष्य अपने कर्मों से महान होता है अपने जन्म से नहीं " किसी विद्वान ने तो सफलता की परिभाषा को ही बदलते हुए कह दिया है कि --- सफलता जीवन में मिले आपके पास शोहरत और धन दौलत से निश्चित नहीं होती बल्कि आपके जीवन

स्त्री की आज़ादी -- उसके *पर्स * में ही है ,,,,

Image
------- ** ------ एक ही अंतहीन क्षितिज कक्ष में में जी रही हूं  --- और वह क्षण जरा भी नहीं बदलता टस से मस नहीं होता ।  मैं मानो एक काल निरपेक्ष क्षण में टंगी हुई हूं --- वह क्षण काल की लड़ी में से टूट कर कहीं छिटक गया है और इस तरह अंतहीन हो गया है ---- अंतहीन और अर्थहीन ।            *अपने - अपने अजनबी* किताबों की दुनिया एक अलग दुनिया होती है जो हमें स्वतंत्र और स्वायत्त बनाती है । मेरा मानना है कि हमारे सभी सवालों का जवाब हमें यही मिल सकता है इस किताबी दुनिया के बीच । स्त्री प्रश्न या स्त्री मुक्ति प्रश्न बहुत बड़ा है । इसे मनुष्यता को अवश्य ही सुलझाना होगा । स्त्रियों को बड़े से बड़े दुख सहने की आदि काल से ही आदत है । यही कारण है कि किसी अपवाद को यदि छोड़ दिया जाए तो स्त्रियों में हृदयाघात से मौत नहीं होती क्योंकि वह जीवन भर ही तो आघात सहन करती रहती है और दूसरों को सदा सुख देती रहती है । ऐसे में उनका ह्रदय जो प्रकृति से कोमल होते हुए भी इतना अत्यधिक कठोर हो चुका होता है कि वह बड़े से बड़े आघात को सहने में स्वत ही सक्षम हो जाता है ।  पहले पहल तो स्त्री के ग