कर्म / भाग्य
-------- --------- पैर मिले हैं ,,, चलने को तो पांव पसारे मत बैठ,,, आगे आगे चलना है तो हिम्मत हारे मत बैठ ,,,, कहा गया है कि जीवन में बिना कर्म के कुछ नहीं मिल सकता । लेकिन इस दुनिया में कर्म को मानने वाले लोग कहते हैं कि भाग्य कुछ नहीं होता और भाग्यवादी का मानना यह है कि जो कुछ लिखा होगा वही होगा । गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि ----- " कठिन करम गति जान विधाता जो शुभ अशुभ शक्ल फल दाता । " भाग्य को चमकाने के लिए इंसान न जाने कितने तरीके और उपाय करता है ।लेकिन वह वास्तविक रूप में अपना भाग्य चमकाना है तो सबसे पहले अपने आप से अच्छा व्यवहार करें और खुद का सम्मान करें अच्छा पाने के लिए अच्छा करना भी पड़ता है बुरे के साथ कभी अच्छा नहीं होता कहते हैं ना कि --- " बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए ।" चाणक्य नीति कहती है कि ---- " मनुष्य अपने कर्मों से महान होता है अपने जन्म से नहीं " किसी विद्वान ने तो सफलता की परिभाषा को ही बदलते हुए कह दिया है कि --- सफलता जीवन में मिले आपके पास शोहरत और धन दौलत से निश्चित नहीं होती बल्कि आपके जीवन