विवाहेत्तर सम्बन्ध : ...??


पुरुष कभी कभी एक निष्ठ नहीं होता । थोड़ी-बहुत रंगरलिया तो वह मनाता ही है । ओर यदि स्त्रियों की बात की जाए तो कुछ स्त्रियां पुरुष को नीचा दिखाने की कोशिश में प्रेम संबंध बना बैठती है 
तो कुछ अपने शक्की स्वभाव के कारण दूसरी स्त्रियों से अपने पति को बचाने की कोशिश में ,,, 
इस कदर लग जाती है कि उनका विवाहित जीवन ही खतरे में पड़ जाता है ।


बलात्कार क्या सिर्फ पुरुष द्वारा वस्त्र हरण कर उसकी अस्मिता को भंग करना मात्र है नहीं ,,,, 
 बलात्कार सिर्फ शारीरिक ही नहीं होता । वह मानसिक भी हो सकता है । हैरानी की बात यह है कि मानसिक बलात्कार सिर्फ पुरुष ही नहीं कर सकते अपितु स्त्री भी स्त्री को पीड़ा देकर उसका मानसिक हरण कर देती है ।


नैतिक रूप से पतन मानसिकता वाली स्त्री अपनी इच्छा पूर्ति के लिए कोई भी दांव खेल जाती है ,,, 
चाहे घर परिवार हो या समाज । छिछले स्तर पर सोचने वाली स्त्री स्वयं के स्वार्थ से वशीभूत होकर अपने अलावा किसी और के बारे में सोचना नहीं चाहती । उसकी सोचने समझने की क्षमता बस स्वयं तक ही सीमित रहती है । उसी में खुद का बड़प्पन भी समझती है । उसको बड़ों को छोटा बनाना या मानसिक रूप से घायल करने में आनंद आता है । पिशाचों वाली मुस्कान उसके चेहरे पर हमेशा तैरती रहती है । इतना ही नहीं उन अवसरों को वह स्त्री हमेशा खोजती रहती है कि किस प्रकार से वह अपने परिवार में दूसरी स्त्री सदस्य का अपमान होते देखे ।


जब दुशासन ने द्रौपदी का चीर हरण करने का प्रयास किया था तो उसकी इस घिनौनी हरकत पर भीम ने भी प्रतिज्ञा ली थी कि मैं एक दिन दुशासन की छाती फाड़कर उसका लहू पियूंगा दुशासन ने तो अपने उस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण करदिया था । लेकिन आज के इस वर्तमान समय में स्त्री ही स्त्री का उत्पीड़न करती नजर आ रही है ।


पति हो या पत्नी किसी का भी अन्य स्त्री या पुरुष के प्रति आकृष्ट हो जाना स्वाभाविक नहीं पर क्या कारण है । सभी पुरुष या स्त्रियां विश्वासघाती नहीं होते । इसका कारण होता है अगर वह अपने आप को किसी आकर्षण में पाते भी हैं तो अपने जीवनसाथी के संपर्क व आकर्षण में रहने का प्रयत्न करते हैं । उनका यह प्रयत्न उन्हें गलत रास्ते पर नहीं जाने देता ।



विवाहेतर संबंधों का एक अलग ही नशा होता है गोपनीय मुलाकातें जिसमें आप एक दूसरे का दोष नहीं देख पाते यह प्रणय संबंध जितनी जल्दी बनते हैं । उतनी ही जल्दी टूट भी जाते हैं । यह चमक-दमक कुछ ही दिनों की रहती है । जब तक वैवाहिक जीवन के सुख दुख पति पत्नी एक साथ मिलकर नहीं उठाते तब तक सभी सर्वगुण संपन्न नजर आते हैं पर जब हालात विपरीत हो जाए तो अपनी पत्नी या अपना पति प्रेमी जैसा एक मादक दिखाई देने लगता है और प्रेमी या प्रेमिका की हालत उबाऊ पड़ती है नीरस पत्नी जैसी हो जाती है । अक्सर यह भी देखने में को मिलता है कि विवाह के कुछ वर्षों के बाद आपके विवाहित जीवन में एकरस्ता आने लगती है । जिसके कारण बाहर की ओर रुख करने वालों का आकर्षण बढ़ जाता है । इससे बचने के लिए आमोद प्रमोद के नए ढंग ढूंढने चाहिए । अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाना चाहिए । किसी भी रिश्ते में जब नवीनता का समावेश होता है तो आपके जीवन में स्वयं ही आ जाता है । अगर आप जानते हैं कि आपका जीवन साथी किसी और के प्यार में गिरफ्तार है तो विरक भाव से या अंजान बने रहना भी उचित नहीं । अपने जीवनसाथी से खुलकर इस संबंध में बात करें ताकिआपके जीवनसाथी को मालूम हो कि आपका आपकी हर बात पर जीवन साथी को जानकारी है तो आप दोनों मिलकर समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन की शांति के लिए अगर आप अपने जीवन साथी को क्षमा मांग अपने संबंध को समाप्त कर दें तो भी आप विश्वासघाती होने से बच सकते हैं कई बार अपने जीवनसाथी के प्रणय संबंधों के कारण खुद को मान अपने आप को दोष देते हैं विवाह सुख की गारंटी नहीं होता यह जरूरी नहीं की इसलिए एक दूसरे से भी व्यवहारिक अपेक्षाएं रखना ही उचित होता है । यह भी मानें कि कोई किसी को कुछ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता ।यदि आपका साथी कहीं किसी और से प्रेम करने लगा है तो यह भी हो सकता है कि वह खुद-ब-खुद करने लगा हो । अगर आप स्वयं को दोष देंगे तो आपके जीवनसाथी को मनमानी करने की छूट मिल जाएगी । इसलिए अगर आप में कमी है तो उसे अपने जीवन साथी को उजागर न करें और उस कमी को दूर करने का प्रयत्न करें 

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