ये कैसी आधुनिकता ,,,
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हिंदू धर्म में लड़कियों के सर ढक कर रखने की पुरातन परंपरा है जिसे हिंदू धर्म में घूंघट करना सर पर आंचल या दुपट्टा रखना कहते है ।
कोई भी स्त्री विवाह के बाद जब अपनी ससुराल जाती है और बहु पत्नी भाभी जैसे कई रिश्तों में बंधती है तो वो सभी के सम्मान में अपने सर पर कपड़ा रखती है कभी मंदिर में प्रवेश करना हो तो सर ढक कर ही प्रवेश करती है ये सनातन धर्म की परंपरा है ।
लेकिन आधुनिकता फैशन खुलापन टूटते संयुक्त परिवार और अपने अधिकार के नाम पर आज हिंदू लड़किया खुद को एक प्रोडक्ट के रूप में दिखा रही है सभी जानते है हम उसी दुकान से सामान खरीदना पसंद करते है जहां पर डिस्प्ले अधिक आकर्षक होता है ।
आज लड़किया ये तो कहती है कि वो कुछ भी पहने ये उनका मौलिक अधिकार है लेकिन भूल जाती है समाज में किसी की सोच और नजर को नही बदला जा सकता जब हम खुद ही भेड़ियों का शिकार बनने के लिए तैयार है तो क्यों भेड़ियों को दोष दे कि सामने वाला गलत है ।
एक लड़की जो आधुनिक छोटे छोटे कपड़े पहन कर अपने शरीर प्रदर्शन करके दूसरो की भावनाओ को भड़काने में शर्म महसूस नहीं करती तो फिर को उसके साथ जो गलत करता है उसे गलत कहने का अधिकार नहीं रखती ।
आज एक लड़की सारी या सलवार कमीज इसलिए नही पहनना चाहती क्योंकि कोई उसे देखकर बहनजी न बोल उसकी इज्जत मर्यादा को नीचा न दिखा दे ।
सोच खुद की बदलनी होगी दूसरी की अपने आप बदल जायेगी ।
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