स्त्री अपने स्वाभिमान की रक्षा करना जानती है ,,,

देह से परे भी है,,
 मेरा वजूद  ,,
कभी देखो अगर ध्यान से तुम ,,
 एक मित्र की तरह एक साथी की तरह,,
 एक इंसान की तरह ,,




 ऐसा कोई युग नहीं रहा जिसमें वह बर्बर प्रश्नों से स्त्री नहीं घिरी और तमाम लांछन और अपमानों के बीच उसने अपनी जीवन यात्रा पूरी नहीं की हो  ।  स्त्री की सामाजिकता का सबसे संवेदनशील बिंदु है उसका चरित्र ।


 इतिहास में यही प्रश्न सीता को लेकर खड़ा हुआ था सीता ने नारी के रूप में कितने अवतार लिए लेकिन पुरुष समाज आज भी धोबी दृष्टि से मुक्त नहीं हो पाया है ।


 समाज तब भी था जब एक राजपरिवार के वृद्ध जन गुरुजन सभी जन सभी थे और द्रोपदी अपनी लाज बचाने के लिए किसके सामने नहीं रोइ  ,  गिड़गिड़ाई  ,,, जब राजपरिवारों की ऐसी स्थिति थी तो आम नागरिकों में स्त्री कितनी प्रतिबंधित रही होगी यह सोचा जा सकता है ,,,, !!





 वर्तमान सामाजिक संदर्भ में नारी की दशा और दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है ,,,  लेकिन समूचे प्रकरण में देशकाल और परंपराओं का सम्मान बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है ,,,  तभी नारी की सनातन गरिमा सुरक्षित रह सकती है  ।




 चूल्हा-चौका से लेकर साहित्य तक ,  राजनीति तक ,  हर क्षेत्र में पुरुष चाहता है कि वह स्त्री को अपने घेरे में रख सके ।


 स्त्री को अपनी अस्मिता को बचाना होगा स्वयं को सक्षम बनाकर ।  पुरुष ने तो हमेशा अपने दम्भ का खेल रच कर स्त्री को वश में रखा है ।




 महादेवी वर्मा कहती है कि ---- " पुरुष ने लोहे की साँकल में पशुओं को बांधा  , सोने की जंजीर स्त्री के गले में डाल दी  ।  थी तो जंजीर ही और बेसुधी स्त्री घूमती रही गृहस्थ धर्म के खूंटे से बंधी ।



 स्त्री तो प्रेम की मिट्टी से बनी होती है ।  स्नेह , कोमलता दया  , ममता  , त्याग  , बलिदान जैसे  आधार पर ही सृष्टि खड़ी है ।  यह सभी गुण एक साथ नारी में समाहित हैं नारी प्रेम त्याग का प्रतिबिंब है नारी संसार की जननी है मातृत्व उसकी सबसे बड़ी साधना है  ,, वह अपनी अस्मिता के प्रति पहले से ही सतर्क है ।


 नारी अपने स्वाभिमान की रक्षा करना जानती है उसे अपने सामाजिक सत्ता का पूर्ण भान है उसके देहिक सामाजिक व आध्यात्मिक चेतना समग्र रूप से समूचे संरचना का केंद्र बिंदु है ।




 कितने गलत थे पुराने लोग जो कहा करते थे कि  ---औरत तो बेचारी गाय होती है जिस खूंटे से बांध दो बंध जाती है  । ,,,नहीं  ,,,,स्त्री गाय नहीं होती वह भी एक इंसान है  ,,,,, एक संपूर्ण व्यक्तित्व है  ,,,,, एक समग्र सत्ता ।।

Comments

  1. बहुत बहुत सुन्दर

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  2. बहुत बहुत सुन्दर

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