* मुक्तकेशी *
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महाभारत को पंचम वेद कहा गया है यह ग्रंथ हमारे देश के मन प्राण में बसा हुआ है । यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है । इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत आर्यावर्त का समग्र इतिहास वर्णित है अपने आदर्श स्त्री पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन जीवन को यह प्रभावित करता रहा है । इस में सैकड़ों पात्रों स्थानों घटनाओं तथा विचित्रताओं का व विडंबनाओं का वर्णन है ।
* द्रोपदी *
ज्योतिषाचार्य रश्मि शर्मा बताती हैं कि इस संदर्भ में एक श्लोक है.....
" अहिल्या द्रौपदी कुंती तारा मंदोदरी तथा
पंचकन्या स्वरा नित्यं महापताका नाशका ।। "
इन पांच अक्षर कुमारियों अहिल्या , द्रौपदी , कुंती , तारा और मंदोदरी के संदर्भ में कहा जाता है कि उनका स्मरण भी महा पापों को नष्ट करने में सक्षम है इस श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का प्रयोग किया गया है नारी शब्द का नहीं ।
* काली का अवतार
दक्षिण भारत में ऐसा माना जाता है कि द्रोपदी काली का एक अवतार थी जिसका जन्म सभी अभिमानी राजाओं के विनाश हेतु भगवान कृष्ण ( जो भगवान विष्णु का ही एक अवतार थे जो देवी पार्वती के भाई थे) कि सहायता करने के लिए हुआ था । यही कारण है कि द्रोपदी के अग्नि से उत्पन्न होने के बावजूद उन्हें भाई बहन माना जाता है ।।
* कृष्ण ही द्रोपदी के एकमात्र मित्र थे
द्रोपदी हमेशा ही भगवान कृष्ण को अपना सखा या प्रिय मित्र मानती थी । कृष्ण भी उसे सही कह कर बुलाते थे यह द्रौपदी और कृष्ण के बीच आध्यात्मिक प्रेम को दर्शाता हे कृष्ण द्रौपदी के एक ऐसे मित्र थे जिन्होंने उसके व्यक्तित्व को एक नई पहचान दी तथा जब भी वह कठिन परिस्थितियों में थी तब उसकी सहायता की । कृष्ण की अलौकिक उपस्थिति को उसने नियमित तौर पर अपने जीवन में महसूस की ।
द्रोपदी के पांच के बजाय 14 पति हो सकते थे ऐसी कहानियां सुनने में आती है कि द्रोपदी अपने पूर्व जन्म में ऐसा पति चाहती थी कि जिसमें 14 गुण हो । भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था । परंतु किसी भी एक व्यक्ति में यह 14 गुण ना मिलने के कारण उन्होंने उससे कहा कि वह उन पांच व्यक्तियों की पत्नी बनेगी जिसमें सामूहिक रूप से यह 14 गुण होंगे द्रोपदी ने भगवान शिव से कहा कि उसे ऐसा पति प्रदान करें कि जिस में वे सभी श्रेष्ठ पांच गुणों जो उसे एक पुरुष में होने चाहिए ---- धर्म , शक्ति , धनुर्विद्या का कौशल , दिखने में सुंदर , धैर्य आदि ।।
दो पुरुषों को तमाम कारणों के दबाव में ना हासिल कर पाने वाली द्रोपदी के जीवन में अर्जुन तीसरे पुरुष के रूप में दाखिल हुए । लेकिन जब तक द्रोपदी उन्हें अपना बनाती उससे पहले माता कुंती के एक *भयानक भ्रम * की वजह से द्रोपदी को पांच पतियों की पत्नी बनना पड़ा यह एक स्त्री के रूप में द्रोपदी का तीसरा और सबसे भयावह बलिदान था । यह वह समय था जब द्रोपदी को वस्तु के तौर पर विभाजित होना पड़ा ।
द्रौपदी का चरित्र अनोखा है । पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी कोई स्त्री नहीं हुई । लेकिन इतिहास ने उसके साथ न्याय नहीं किया दरअसल भारत की पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था उसके साथ तालमेल नहीं बैठा सकी । द्रोपदी को महाभारत के लिए जिम्मेदार माना गया । हालांकि इसके लिए वह अकेली जिम्मेदार नहीं थी मेरा मानना है कि द्रोपदी ना रहती तो भी महाभारत का युद्ध होता क्योंकि वह विवाद संपत्ति के बंटवारे का था द्रोपदी केवल कारण बनी ।
दुशासन ने द्रोपदी को केस पकड़कर खींचा था उसके बाद द्रोपदी ने अपने केस सदैव खुले रखे ,,, वो खुले केशों ही कौरवों के सर्वनाश का कारण बने । ।
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महाभारत को पंचम वेद कहा गया है यह ग्रंथ हमारे देश के मन प्राण में बसा हुआ है । यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है । इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत आर्यावर्त का समग्र इतिहास वर्णित है अपने आदर्श स्त्री पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जन जीवन को यह प्रभावित करता रहा है । इस में सैकड़ों पात्रों स्थानों घटनाओं तथा विचित्रताओं का व विडंबनाओं का वर्णन है ।
* द्रोपदी *
ज्योतिषाचार्य रश्मि शर्मा बताती हैं कि इस संदर्भ में एक श्लोक है.....
" अहिल्या द्रौपदी कुंती तारा मंदोदरी तथा
पंचकन्या स्वरा नित्यं महापताका नाशका ।। "
इन पांच अक्षर कुमारियों अहिल्या , द्रौपदी , कुंती , तारा और मंदोदरी के संदर्भ में कहा जाता है कि उनका स्मरण भी महा पापों को नष्ट करने में सक्षम है इस श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का प्रयोग किया गया है नारी शब्द का नहीं ।
* काली का अवतार
दक्षिण भारत में ऐसा माना जाता है कि द्रोपदी काली का एक अवतार थी जिसका जन्म सभी अभिमानी राजाओं के विनाश हेतु भगवान कृष्ण ( जो भगवान विष्णु का ही एक अवतार थे जो देवी पार्वती के भाई थे) कि सहायता करने के लिए हुआ था । यही कारण है कि द्रोपदी के अग्नि से उत्पन्न होने के बावजूद उन्हें भाई बहन माना जाता है ।।
* कृष्ण ही द्रोपदी के एकमात्र मित्र थे
द्रोपदी हमेशा ही भगवान कृष्ण को अपना सखा या प्रिय मित्र मानती थी । कृष्ण भी उसे सही कह कर बुलाते थे यह द्रौपदी और कृष्ण के बीच आध्यात्मिक प्रेम को दर्शाता हे कृष्ण द्रौपदी के एक ऐसे मित्र थे जिन्होंने उसके व्यक्तित्व को एक नई पहचान दी तथा जब भी वह कठिन परिस्थितियों में थी तब उसकी सहायता की । कृष्ण की अलौकिक उपस्थिति को उसने नियमित तौर पर अपने जीवन में महसूस की ।
द्रोपदी के पांच के बजाय 14 पति हो सकते थे ऐसी कहानियां सुनने में आती है कि द्रोपदी अपने पूर्व जन्म में ऐसा पति चाहती थी कि जिसमें 14 गुण हो । भगवान शिव ने उसे वरदान दिया था । परंतु किसी भी एक व्यक्ति में यह 14 गुण ना मिलने के कारण उन्होंने उससे कहा कि वह उन पांच व्यक्तियों की पत्नी बनेगी जिसमें सामूहिक रूप से यह 14 गुण होंगे द्रोपदी ने भगवान शिव से कहा कि उसे ऐसा पति प्रदान करें कि जिस में वे सभी श्रेष्ठ पांच गुणों जो उसे एक पुरुष में होने चाहिए ---- धर्म , शक्ति , धनुर्विद्या का कौशल , दिखने में सुंदर , धैर्य आदि ।।
दो पुरुषों को तमाम कारणों के दबाव में ना हासिल कर पाने वाली द्रोपदी के जीवन में अर्जुन तीसरे पुरुष के रूप में दाखिल हुए । लेकिन जब तक द्रोपदी उन्हें अपना बनाती उससे पहले माता कुंती के एक *भयानक भ्रम * की वजह से द्रोपदी को पांच पतियों की पत्नी बनना पड़ा यह एक स्त्री के रूप में द्रोपदी का तीसरा और सबसे भयावह बलिदान था । यह वह समय था जब द्रोपदी को वस्तु के तौर पर विभाजित होना पड़ा ।
द्रौपदी का चरित्र अनोखा है । पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी कोई स्त्री नहीं हुई । लेकिन इतिहास ने उसके साथ न्याय नहीं किया दरअसल भारत की पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था उसके साथ तालमेल नहीं बैठा सकी । द्रोपदी को महाभारत के लिए जिम्मेदार माना गया । हालांकि इसके लिए वह अकेली जिम्मेदार नहीं थी मेरा मानना है कि द्रोपदी ना रहती तो भी महाभारत का युद्ध होता क्योंकि वह विवाद संपत्ति के बंटवारे का था द्रोपदी केवल कारण बनी ।
दुशासन ने द्रोपदी को केस पकड़कर खींचा था उसके बाद द्रोपदी ने अपने केस सदैव खुले रखे ,,, वो खुले केशों ही कौरवों के सर्वनाश का कारण बने । ।
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Jisne v stri ko samman nh diya hai.wo kv sukhi nh reh sakta..
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