स्त्री प्रश्न
भोजपुरी में एक कहावत कही जाती है ---- त्रिया जन्म मत देबू हो विधाता " नारी चाहे वह मां के रूप में तथा सृष्टि के सृजन कर्ता के रूप में हो या बच्चों की पालनहार मां का ममत्व अथवा एक पत्नी के रूप में सृष्टि के प्रारंभ से ही स्त्री अपनी भूमिका बखूबी निभा रही है । आज की स्त्रियां शिक्षा के क्षेत्र में भी बढ़ोतरी कर रही है । लेकिन शिक्षित महिलाओं के साथ भी इस सभ्य पुरुष समाज में अपराधों की संख्या कम नहीं हो पा रही है । मैंने सभ्य पुरुष इसलिए कहा क्योंकि सारी सभ्यता का ठेका तो सिर्फ पुरुष वर्ग ने ही ले रखा है ना ,,,,!!! हम आज भी देखते हैं कि लड़कियों के साथ जो भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है । यदि संतान लड़की के रूप में जन्मी हो तो परिवार पर दुख के बादल मंडराने लगते हैं । आज आधुनिक समाज में समय का तकाजा है कि दकियानूसी बातों को त्याग कर वर्तमान में जिए आज के इस समाज को निडर शिक्षित समझदार और पहल करने वाली स्त्री की आवश्यकता है । स्त्री को भी अपने अस्तित्व को स्थिर रखने के लिए त्याग को छोड़कर स्वयं का विकसित करना होगा क्योंकि स्त्री हमेशा से ही त्याग की मूर्ति रही है