बोलती हुई स्त्री ,,,



बोलती हुई स्त्री ,  
कितनी खटकती हैं ना..

सवालों के तीखे जवाब देती
बदले में नुकीले सवाल पूछती
कितनी चुभती है ना...

अब, 
जब पूजे जाना नकार कर
वो तलाश रही हैं अपना वजूद
तो न जाने क्यों हमें 
खटक रहा है उनका आत्मविश्वास
खोजने लगे हैं हम तरीके
उसे ध्वस्त करने के...
बोलती हुई स्त्रियों !!
अब जब सीख ही रही हो बोलना
तो रुकना नहीं कभी..
पड़े जरुरत तो चीखना भी
लेकिन खामोश न होना..
तुम्हारी चुप्पी ही,
सबसे बड़ी दुश्मन रही है तुम्हारी...

बोलती हुई स्त्री, बोलती रहना तुम !!!

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