नारी विमर्श
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नारी विमर्श ने साहित्य को समझने की केवल नई दृष्टि प्रदान नहीं की, बल्कि उसमें नये जीवन आदर्श भी प्रतिस्थापित किए। नारी विमर्श एक ऐसा विमर्श है, जिसने पूरे विश्व में हड़कम्प मचा दिया है। नारी विमर्श नारी की मुक्ति से संबद्ध एक विचारधारा है और नारी चूंकि समाज की धुरी के रूप में समाज की देखभाल सदियां से करती आ रही है, भारत में नारी को देवी, श्रद्धा, अबला जैसे संबोधनों से संबोधित करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। इस तरह के संबोधन अथवा विशेषण जोड़कर हमने उसे एक ओर पूजा की वस्तु बना दिया है तो दूसरी ओर अबला के रुप में उसे भोग्या एवं चल-संपत्ति बना दिया। हम यह भूल जाते हैं कि नारी मातृ – सत्ता का नाम है, जो हमें जन्म देती है, पालती है तथा योग्य बनाती है। यह कार्य नारी का मातृरूप ही करता है। आज विश्व के हर कोने में नारी के सुदृढ़ पगों की चाप सुनाई दे रही है।
आज जीवन के सभी क्षेत्रों में नारी ने अपना स्थान बनाया है। शिक्षा के क्षेत्र में सभी परीक्षाओं में लड़कियाँ अधिक आगे रहती हैं। आज सभी क्षेत्रों में नारी पुरुषों से आगे हैं। नारी का नौकरी में होना आज एक आम बात है। पचास वर्ष पहले यह एक बड़ी घटना थी। शताब्दियों से पुरुष ही घर के भरण- पोषण का दायित्व संभालता रहा है। नारी को केवल यही सिखाया गया कि तुम अच्छी माँ बनो, अच्छी बहन और अच्छी पत्नी बनो। इसी में तुम्हारा जीवन सार्थक है। बाहर के जीवन से तुम्हें कुछ लेना-देना नहीं, इसीलिए शिक्षा से भी तुम्हारा कोई वास्ता नहीं। यदि समाज को सुव्यवस्थित, सुगठित बनाना है और शांति पाना है तो नारी को समुचित सम्मानीय स्थान देना होगा, उसे मर्यादित करने के लिए प्रेम देना होगा और उसे स्वावलम्बी बनाने के लिए पूर्णतः शिक्षित करना होगा। हर कन्या का पुत्र की भांति पालन-पोषण करना होगा। इसलिए हमारे समाज की भी जिम्मेदारी बनती है कि हम लड़कियों को इस तरह शिक्षित करें कि वक्त आने पर वह रणचंड़ी बनके दानवों को उनके बुरे अंजाम तक पहुँचाएं और दूसरी जिम्मेदारी स्वयं नारी की है ।
आज का युग बेसक नारी स्वतन्त्रता का युग है। लेकिन, हम कटु सत्यों को भी नकार नहीं सकते। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि नारी के परम्परागत स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं आया। इन सब रुढ़ियों और कुप्रथाओं के बावजूद वह सभी चुनौतियों का सामना करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अपनी श्रेष्ठता प्रतिपादित कर रही है। आज महिलाएँ मानवीय क्रियाकलापों के सभी क्षेत्रों में नई-नई उपलब्धियाँ अर्जित कर रही हैं।
शिक्षा के कारण नारी में जागरुकता आई है और अनेक क्षेत्रों में उसका सम्मान बढ़ा है। आज भारत में नारी-शिक्षा की स्थिति संतोषजनक नहीं है, किन्तु आशाजनक अवश्य है ।
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