कलियुग ,,,,,,,
****** पंडित जी तो महिलाओं को तिलक भी स्वयं नहीं लगाते। पर शादी में अब साड़ी ब्लाउज इत्यादि पहनाने वालों को बुलाया जाने लगा है या इन स्त्रियों को ही सेंटरों पर बुलाया जाने लगा है ! अब किसी भी अवसर पर महिलाओं को साड़ी पहनाने से लेकर, मेहंदी, सैलून, टेलर, टैटू सब काम पुरुष कर रहे हैं, वे भी गैर हिन्दू। ये कथित आधुनिकता हिन्दू समाज को कहाँ तक ले जाएगी……? मेहंदी के बाद अब महिलाओं को साड़ी पहनना भी सेंटरों पर पुरुष सिखा रहे हैं! एक गैर पुरूष द्वारा साड़ी खींचने पर जिस देश में महाभारत हो गई थी उस भारत में स्त्री खुद साड़ी उतारने खड़ी है। हां आज स्त्री स्वयं ही पुरुष से न केवल जिम में अपने निजी अंगों का स्पर्श सुख भोग रही है बल्कि साड़ी भी उतार पहन रही हैं।। ये प्रगति नहीं है संस्कारों का पतन ही हमारी मृत्यु है ?? आधुनिकता के नाम पर हमारी संस्कृति को मिट्टी मैं मिलाया जा रहा है आज कल की लड़कियों को , अगर उनको साड़ी ना पहन ना आता है तो खुद को मॉडर्न समझती है गर्व से कहती है कि हमे साड़ी पहननी नही आती अभी इससे भी बहुत बुरा बाकी है Kalyuga is loading.....