नैतिकता
शिक्षा एवं सामाजिक जागरूकता की भावना ने छुआछूत जातिगत भेदभाव का समाज में खुलकर विरोध किया है । विज्ञान एवं यांत्रिकता का प्रसार ने तथा भौतिकवाद ने स्त्री-पुरुष संबंधों में बदलाव एवं तनाव भी उपस्थित कर दिए हैं । इन तनाव समस्याओं को खत्म करने तथा इनको भरने के लिए नवीन मानवीय मूल्यों की खोज की जा रही है । इस खोज में परंपरागत आदर्शों एवं नैतिक मान्यताओं का विरोध होना स्वभाविक है । नवीन मानवीय संबंधों की खोज को और आधुनिक युग में व्यक्ति को प्रेरित किया है । इसके अतिरिक्त नए मूल्यों की स्थापना के प्रयास में प्राचीन संबंध भी विघटित होने लगे हैं । यांत्रिक सुविधाओं ने नैतिक मान्यताओं में परिवर्तन उपस्थित कर दिए हैं । संबंधों में स्वच्छंदता भी आने लगी है । इसी उन्मुक्त और स्वच्छंदता का परिचय देती हुई दादा कॉमरेड की शेल कहती है --- "क्या संसार भर की अच्छाई एक ही व्यक्ति में समा सकती है । " प्राचीन परंपराएं मान्यताएं एवं आदर्शों का विरोध हो रहा है। किंतु स्वस्थ नए मूल्यों का भी अभाव है । यह विरोधी जीवन मूल्यों का निर्माण कर रहा है । स्वयं को आधुनिक कहलाने की आकांक्षा