स्त्री विमर्श
---------------------------- " भारतीय दंड संहिता का , मैं जग को बोध कराऊँगी , सम्मान करें सब वनिता का , सच्ची इंसानियत सिखाऊंगी ।। " हिंदू धर्म के व्याख्याकार मनु महाराज एक पुरुष है जिन्होंने स्पष्ट कहा था कि स्त्री को बचपन से पिता पर जवानी में पति पर और बुढ़ापे में अपने बेटों पर निर्भर रहना चाहिए । पति चाहे अगअवगुणी , कामी , दुराचारी अथवा पागल ही क्यों ना हो पर पत्नी द्वारा उसे ईश्वर के समान पूजा करनी चाहिए । मनु की इन्हीं बातों को विश्वास और हिदायतों को चाहे तुलसीदास हो रामकृष्ण हो या शंकराचार्य जैसे धर्म प्रचारक हो अथवा कोई भी हिंदू कानून या न्याय हो आज तक न केवल मानता है बल्कि उसे और भी पुख्ता करता आया है । धर्म चाहे जो भी हो सभी धर्मों में स्त्री को पुरुष से नीचे समझा गया है । कुरान शरीफ के अनुसार स्त्री को पुरुष के कहे अनुसार चलना चाहिए , उसे आज्ञाकारी होना चाहिए , उसे अपने अंगों को छुपा कर रखना चाहिए , और पति की सेवा करनी चाहिए और यदि इसका पालन न करें तो पुरुष को अधिकार है कि उसे स्त्री को डांटे मारे सजा दे और इसके बाद भी ज